बालिका हूँ मैं (कविता): आँसू आ जाएंगे पढ़कर
यह कविता, जो राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालिकाओं के अधिकार, समानता और सशक्तिकरण का संदेश देती है। बालिका […]
यह कविता, जो राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालिकाओं के अधिकार, समानता और सशक्तिकरण का संदेश देती है। बालिका […]
इस कविता में आत्मविश्वास को एक महत्वपूर्ण आधार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह कविता हमें यह बताती
प्रगति पथ का पथिक युवा प्रगतिपथ का हूं पथिक मैं, कहते है युवा मुझे, विवेकानंद के आदर्शो पर चलूँ, कोई
शीतलहर आई जहां सर्दी बढ़ी प्रचंड, आग अनल को तापती टूटा पड़ा घमंड। टूटा पड़ा घमंड रोज अब कौन नहावे,