संभवम् IAS ने स्कॉलरशिप 2025 का किया शुभारंभ; राष्ट्र-निर्माण के मिशन को जारी रखने का संकल्प
सिविल सेवा की तैयारी कर रहे मेधावी और जरूरतमंद छात्रों को सशक्त बनाने के अपने मिशन को जारी रखते हुए, […]
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भारत प्राचीनकाल से ही सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक वैभव और आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र रहा है, किंतु औपनिवेशिक शासन के लंबे
मॉं भारती के महान सपूत, अनन्य राष्ट्रभक्त, मौलिक चिंतक, श्रेष्ठ लेखक, पत्रकार और संगठनकर्ता के रूप में पंडित दीनदयाल
भारत की पावन भूमि में समय-समय पर महापुरुषों ने जन्म लेकर सम्पूर्ण मानवता के कल्याण में अतुलनीय एवं अप्रतिम योगदान
भारतीय दर्शन में, शिक्षक को गुरु के रूप में देखा जाता है, जो सिर्फ ज्ञान ही नहीं देता, बल्कि अज्ञान
भारत अपनी स्वाधीनता के 79वें वर्ष के गौरवशाली पड़ाव पर पहुंच कर ‘अमृतकाल’ की यात्रा पर अग्रसर है। यह अमृतकाल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को केंद्र सरकार ने देश की बदलती आवश्यकताओं और वैश्विक मानकों को ध्यान में रखते हुए
भारत में हाल के दिनों में बाढ़ से तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और
भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु को परमात्मा से भी श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। यह परंपरा न केवल शिक्षा के माध्यम
भगवान बिरसा मुंडा की एक ऐसे महान आदिवासी क्रांतिकारी नेता थे, जिनका संघर्ष ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ जनजागृति और