राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका
भारत प्राचीनकाल से ही सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक वैभव और आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र रहा है, किंतु औपनिवेशिक शासन के लंबे […]
भारत प्राचीनकाल से ही सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक वैभव और आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र रहा है, किंतु औपनिवेशिक शासन के लंबे […]
मॉं भारती के महान सपूत, अनन्य राष्ट्रभक्त, मौलिक चिंतक, श्रेष्ठ लेखक, पत्रकार और संगठनकर्ता के रूप में पंडित दीनदयाल
भारत में हाल के दिनों में बाढ़ से तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और
भगवान बिरसा मुंडा की एक ऐसे महान आदिवासी क्रांतिकारी नेता थे, जिनका संघर्ष ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ जनजागृति और
भारतीय सनातन संस्कृति में सम्पूर्ण सृष्टि को परिवार माना गया है, जहाँ प्रकृति के प्रत्येक रूप को ईश्वर का स्वरूप
“मुझे सही फैसले लेने में विश्वास नहीं है। मैं फैसले लेता हूँ और फिर उन्हें सही बनाता हूँ।” – रतन
समाज में शिक्षक का स्थान अनादिकाल से ही पूजनीय रहा है। शिक्षक ही शिक्षा का प्रमुख आधार होता है। वह
अगले पांच वर्ष दुनिया के लिए संकट का काल है। अभी जबकि पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच
भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु का स्थान परमात्मा से भी ऊपर माना गया है। प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा