आत्मविश्वास का आधार

इस कविता में आत्मविश्वास को एक महत्वपूर्ण आधार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह कविता हमें यह बताती है कि जब हमारे जीवन में संघर्ष और चुनौतियां आती हैं, तो हमें आत्मविश्वास में दृढ़ता बनाए रखना चाहिए।

जब तुम्हारे आसमान में बादल छाए,
तो धूप को मत भुलाना तुम,
जब तुम्हारे सागर में लहरें उठें,
तो किनारे को मत छोड़ जाना तुम।

जब तुम्हारे जंगल में आग लगे,
तो हरियाली को मत गवाना तुम,
जब तुम्हारे फूलों में काँटे चुभें,
तो खुशबू को मत खो जाना तुम।

क्योंकि तुम्हारे आँखों में है एक रोशनी,
जो तुम्हें रास्ता दिखाती है,
क्योंकि तुम्हारे कानों में है एक आवाज़,
जो तुम्हें सही-गलत बताती है।

क्योंकि तुम्हारे हाथों में है एक ताकत,
जो तुम्हें कामयाबी दिलाती है,
क्योंकि तुम्हारे पैरों में है एक चाल,
जो तुम्हें मंजिल तक पहुंचाती है।

क्योंकि तुम्हारे सीने में है एक दिल,
जो तुम्हें प्यार करना सिखाता है,
क्योंकि तुम्हारे सिर में है एक दिमाग,
जो तुम्हें सोचना सिखाता है।

क्योंकि तुम्हारे अंदर है एक आत्मा,
जो तुम्हें जीवन का अर्थ बताती है,
क्योंकि तुम्हारे चारों ओर है एक ईश्वर,
जो तुम्हें आशीर्वाद देता है।

तो डरो मत और अपने आप पर भरोसा करो,
चाहे कितनी भी मुसीबतें आएं,
हँसो और अपने जीवन का मजा लो,
चाहे कितने भी दुख आएं।

क्योंकि तुम हो वो तारा, जो अपनी चमक नहीं खोता है,
क्योंकि तुम हो वो पंछी, जो अपनी उड़ान नहीं रोकता है,
क्योंकि तुम हो वो फूल, जो अपनी खुशबू नहीं बदलता है,
क्योंकि तुम हो वो इंसान, जो अपने आत्मविश्वास का आधार है।
क्योंकि तुम हो वो इंसान, जो अपने आत्मविश्वास का आधार है।

– पारुल मिश्रा, जबलपुर, मध्यप्रदेश

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