विकसित भारत 2047 एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसे भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता के 100 वर्षों के उपलक्ष्य में देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इसका लक्ष्य 2047 तक भारत को आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विश्वस्तरीय बनाना है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे का सुधार, स्वास्थ्य और शिक्षा में व्यापक सुधार, और नवाचार को प्रोत्साहन देना है। साथ ही, यह पर्यावरणीय स्थिरता और समावेशी विकास पर भी जोर देती है ताकि सभी नागरिकों को समान अवसर और संसाधनों का लाभ मिल सके। इस पहल के अंतर्गत सरकार ने कई नीतिगत सुधारों और योजनाओं की घोषणा की है, जो देश के समग्र विकास को सुनिश्चित करेंगी। इनमें डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और स्वच्छ भारत जैसे अभियानों का समावेश भी किया गया है। ये पहलें देश को तकनीकी रूप से उन्नत और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
समग्र रूप से विकसित भारत 2047 का उद्देश्य एक ऐसा भारत बनाना है, जो वैश्विक मानकों पर खरा उतरे और साथ ही सामाजिक न्याय, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक बने। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह नीति शिक्षा को अधिक समावेशी, गुणवत्तापूर्ण, और प्रभावी बनाने के लिए कई बड़े बदलावों की रूपरेखा तैयार करती है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को गहन ज्ञान, नवाचार, और प्रौद्योगिकी में सशक्त बनाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत पाठ्यक्रमों में लचीलापन, बहु-विषयक शिक्षा को प्रोत्साहन, और अनुसंधान एवं नवाचार के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया गया है। शिक्षकों के प्रशिक्षण और उनके निरंतर व्यावसायिक विकास पर भी ध्यान दिया गया है, जिससे वे आधुनिक शिक्षण विधियों और तकनीकी कौशलों में दक्ष हो सकें। परीक्षा प्रणाली में भी बदलाव किए जा रहे हैं ताकि छात्रों की रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्याओं को हल करने की क्षमता को प्राथमिकता दी जा सके। यह सुधार शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाएंगे और छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेंगे।
इसी अनुक्रम में भारतीय शिक्षण मंडल के युवा आयाम द्वारा राष्ट्रीय सम्मेलन ‘विविभा’ (विजन फॉर विकसित भारत) – अनुसंधान से साकारता का आयोजन 15 से 17 नवंबर तक एसजीटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम में किया जा रहा है, जिसे सफल बनाने के लिए लाखों कार्यकर्ता प्रयत्नशील हैं। राष्ट्रीय पुनरूत्थान के लिये प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक सम्पूर्ण शिक्षा को भारतीय मूल्यों पर आधारित, भारतीय संस्कृति की जड़ों से पोषित तथा भारत केन्द्रित बनाने के लिये नीति, पाठ्यक्रम तथा पद्धति में भारतीयता को लाने के लिये आवश्यक अनुसंधान, प्रबोधन, प्रशिक्षण, प्रकाशन व संगठन का कार्य करना भारतीय शिक्षण मंडल का ध्येय है। राष्ट्रीय भाव से प्रेरित, तर्कपूर्ण विमर्श करने में समर्थ बौद्धिक योद्धाओं का निर्माण युवा आयाम का प्रमुख उद्देश्य है। बौद्धिक क्षमता एवं रुचि के युवाओं को खोजना, जोड़ना और तत्पर करना युवा आयाम का कार्य है। वास्तव में राष्ट्र की प्रज्ञा ही उसका भविष्य निर्माता होती है तथा प्रज्ञा का विकास युवावस्था में ही होता है।
इस सम्मेलन के लिए देशभर के एक हजार से अधिक विश्वविद्यालयों से 1,68,000 शोध आलेख प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं, जिनमें से सर्वोत्तम 1,200 आलेखों के लेखकों को प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है। सम्मेलन में विश्व स्तरीय प्रदर्शनी का उद्घाटन 15 नवंबर को अपराह्न 3 बजे होगा और उद्घाटन सत्र 3:30 बजे से शुरू होगा। सर्वोत्तम शोध लेखकों को भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रशिक्षण का अवसर भी मिलेगा। सम्मेलन के दौरान विकसित भारत से संबंधित विविध विषयों पर गहन चर्चा की जाएगी, जैसे विधि एवं न्याय, महिला सशक्तिकरण, भारतीय ज्ञान पद्धति, ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण, कला, साहित्य, और तकनीकी उन्नति। इस आयोजन का उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिक बनाते हुए अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है, जो विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे सके।
राष्ट्रीय सम्मेलन ‘विविभा’ का उद्घाटन 15 नवंबर को पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, इसरो के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ और नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी करेंगे। प्रमुख वक्ताओं में संजीव कृष्ण ठाकुर, गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज, डॉ. मनमोहन वैद्य, इंद्रेश कुमार, स्वामी रामदेव, धर्मेंद्र प्रधान, और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल होंगे। सम्मेलन में 1200 शोध लेखकों को आमंत्रित किया गया है, और इसमें भारतीय सनातन मूल्यों का आत्म भारत निर्माण में योगदान, पर्यावरण संरक्षण, भारतीय सनातन संस्कृति के तत्व, अखण्ड भारत, भारतीय सांस्कृतिक विरासत एवं धरोहर, भारतीय इतिहास, वांग्मय, संस्कृति, ज्ञान, विज्ञान, कला, विधि, न्याय, साहित्य, भारतीय शिक्षण-प्रशिक्षण पद्धति, भारतीय वाणिज्य एवं अर्थशास्त्र सामाजिक सुरक्षा, प्राचीन भारत में महिला सशक्तिकरण दृष्टि, जैसे महत्वपूर्ण विषय सम्मिलित होंगे।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो उसे वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में सहायक रही है। वैज्ञानिक और तकनीकी कार्यबल की बढ़ती संख्या, स्टार्टअप इकोसिस्टम का उभरना, और अंतरिक्ष विज्ञान में शानदार उपलब्धियां देश के तकनीकी सामर्थ्य का प्रमाण हैं। साथ ही, उच्च शिक्षा और अनुसंधान के प्रति राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत दिए गए प्रोत्साहन ने भी नवाचार और अनुसंधान की संस्कृति को मजबूत किया है। भारत की यह प्रगति आर्थिक और तकनीकी विकास को बढ़ावा देगी, साथ ही आने वाले समय में वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए देश को एक सशक्त राष्ट्र बनाएगी। निश्चित रूप से भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित विविभा 2024 से भारत केंद्रित शोध को एक नई दिशा मिलेगी तथा शोध के क्षेत्र में भारत सर्वोच्च मानदंड स्थापित करते हुए वर्ष 2047 तक विभिन्न क्षेत्रों में विश्व में अग्रणी भूमिका निभाएगा।