अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय है, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चुनौतीपूर्ण है। अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे से न केवल हमारी पृथ्वी की सुरक्षा खतरे में है, बल्कि यह अंतरिक्ष अनुसंधान और खोज के लिए भी बाधा बन रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, 2019 में अंतरिक्ष में 1 सेमी (0.39 इंच) से छोटे मलबे के 128 मिलियन से अधिक टुकड़े थे, और 1 से 10 सेमी के बीच लगभग 900,000 टुकड़े थे। बड़े मलबे की गिनती (10 सेमी या उससे बड़े के रूप में परिभाषित) 34,000 थी, और जो जून 2023 तक कम से कम 37,000 हो चुकी है। उपग्रहों के अवशेष, रॉकेट के हिस्से, अन्य अंतरिक्ष यानों के अवशेष, अंतरिक्ष स्टेशनों का कचरा, प्रक्षेपण यानों के अवशेष अंतरिक्ष कचरे के प्रमुख प्रकार हैं।
बीते 2 अप्रैल को 8.5 टन वज़नी चीनी अंतरिक्ष स्टेशन तियांगोंग-1 अपनी कक्षा से बाहर हो गया और ताहिती के उत्तर-पश्चिम दिशा में दक्षिण प्रशांत महासागर में गिरकर नष्ट हो गया था। इस घटना के कारण तियांगोंग के पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर गिरने की अटकलों पर तो विराम लग गया किंतु अंतरिक्ष कचरे पर बहस को फिर से चर्चा में ला दिया है। ज्ञात हो कि 2016 में चीन ने अपने अंतरिक्ष स्टेशन तियांगोंग-1 पर अपना नियंत्रण खो दिया था। नियंत्रण खोने के बाद चीन ने यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑफ़ आउटर स्पेस और इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रीस को-आर्डिनेशन कमिटी जो कि एक अंतर्राष्ट्रीय कंसोर्टियम है (जिसका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अर्थात इसरो भी सदस्य है), को सूचित कर दिया था।
इन्होंने तियांगोंग के पृथ्वी पर गिरने तक इसको ट्रैक किया था, हालाँकि इसके समुद्र में गिरने तक इसके अधिकांश भाग जलकर नष्ट हो चुके थे। चीन जैसे अति महत्वाकांक्षी देश की तियांगोंग-2 प्रयोगशाला अभी भी परिचालन में है। इसे तभी लॉन्च कर दिया गया था जब चीन ने तियांगोंग -1 पर नियंत्रण खो दिया था। ऐसे में अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन पर चर्चा अत्यंत आवश्यक है। 3 अप्रैल को पीएसएलवी _सी 19 लॉन्च व्हीकल का चौथा चरण (इसने 2022 में राडार इमेजिंग सैटेलाइट आर आई एस ए टी_1 को लांच किया था) मध्य अटलांटिक महासागर के ऊपर जलकर नष्ट हो गया था। दक्षिणी प्रशांत महासागर में किसी भी उपयुक्त तट से 1500 वर्ग किलोमीटर दूर तक के क्षेत्र में अब तक 260 से भी अधिक उपग्रह नीचे आ चुके हैं।
उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरिक्ष यानों का निर्माण और परीक्षण, अंतरिक्ष अनुसंधान और खोज, सैन्य गतिविधियाँ अंतरिक्ष कचरे के स्रोत हैं। अंतरिक्ष यानों के लिए खतरा, पृथ्वी के वायुमंडल में प्रदूषण, अंतरिक्ष अनुसंधान में बाधा, पर्यावरण संरक्षण में खतरा अंतरिक्ष कचरे के कुप्रबंधन के प्रमुख प्रभाव हैं। अंतरिक्ष में बिखरा यह कचरा सिर्फ उपग्रहों की कक्षा में ही नहीं, बल्कि हमारे वायुमंडल के लिये भी काफी खतरनाक हो सकता है। यदि कोई बड़ा टुकड़ा पूरी तरह नष्ट हुए बिना हमारे वायुमंडल में प्रवेश कर जाए तो विनाशक प्रभाव पैदा कर सकता है। यह मलबा अंतरिक्ष में आण्विक अभिक्रिया के माध्यम से संचार व्यवस्था को भी बाधित करने में सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त यह मलबा उपग्रहों द्वारा प्रदत्त सेवाओं एवं उनके प्रक्षेपण को प्रभावित कर सकता है।
वर्तमान में अंतरिक्ष में मृत, कृत्रिम रूप से निर्मित वस्तुओं की 7,500 टन अनुमानित मात्रा मौजूद है। अंतरिक्ष कचरे की गति लगभग 28,000 किमी. प्रति घंटा होती है जो कि किसी अंतरिक्ष यान को नष्ट करने के लिये काफी है। पृथ्वी की कक्षा में भेजे जाने वाले कई मानव-निर्मित उपग्रह वहीं नष्ट हो जाते हैं और छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में पृथ्वी की कक्षाओं में घूमते रहते हैं। नासा (अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी) द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, यह मलबा पृथ्वी के चारों ओर काफी तेज़ रफ़्तार से घूम रहा हैं। इसमें मृत स्पेस क्राफ्ट, रॉकेट, उपग्रह प्रक्षेपण यानों के अवशेष, मिसाइल शार्पनेल व अन्य निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अवशेष शामिल हैं।
सबसे नुकसानदायक अंतरिक्ष कचरा के अंतर्गत, डिसएबल्ड सैटेलाइट्स (निष्क्रिय उपग्रह): ये उपग्रह अब काम नहीं करते हैं और अंतरिक्ष में खतरनाक वस्तुओं के रूप में कार्य करते हैं। रॉकेट बॉडी और चरण: रॉकेट के अवशेष अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं। ब्रेक-अप फ्रैगमेंट्स (टूटे हुए टुकड़े): उपग्रहों और रॉकेटों के टूटे हुए टुकड़े अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं। न्यूक्लियर रिएक्टर: अंतरिक्ष यानों में उपयोग किए जाने वाले न्यूक्लियर रिएक्टर अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं। हाइड्राजिन फ्यूल टैंक: हाइड्राजिन फ्यूल टैंक अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं। लॉन्च व्हीकल डिब्रिस (प्रक्षेपण यान के अवशेष): प्रक्षेपण यानों के अवशेष अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं। स्पेस स्टेशन डिब्रिस (अंतरिक्ष स्टेशन के अवशेष): अंतरिक्ष स्टेशनों के अवशेष अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं। माइक्रोसैटेलाइट्स (सूक्ष्म उपग्रह): सूक्ष्म उपग्रह अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं। स्पेस डेब्रिस नेट्स (अंतरिक्ष कचरा जाल): अंतरिक्ष कचरा जाल अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं। अबांडन्ड स्पेसक्राफ्ट (त्याग किए गए अंतरिक्ष यान): त्याग किए गए अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में खतरनाक हो सकते हैं।
अंतरिक्ष स्टेशन भी अंतरिक्ष कचरा के लिए जिम्मेदार हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आई एस एस), चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन (जो नष्ट हो चुका है), रूस का मीर अंतरिक्ष स्टेशन (अब निष्क्रिय), अमेरिका का स्काइलैब अंतरिक्ष स्टेशन (अब निष्क्रिय) प्रमुख अंतरिक्ष स्टेशन हैं। वर्तमान में विश्व में केवल एक ही अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन है, जिसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) कहा जाता है। यह पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित है और लगभग 350 किलोमीटर ऊपर 27,724 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से परिक्रमा करता है। आईएसएस विश्व की कई अंतरिक्ष एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है, जिसमें नासा, रूसी फेडरल स्पेस एजेंसी, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी, कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी, और यूरोपीय स्पेस एजेंसी शामिल हैं। यह अंतरिक्ष में स्थित एक वेधशाला के तौर पर कार्य करता है और इसमें रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहकर काम करने का मौका मिलता है। अंतरिक्ष स्टेशन से उपग्रहों के अवशेष, रॉकेट के अवशेष, अंतरिक्ष यानों के अवशेष, अंतरिक्ष स्टेशन के अवशेष, जीवन समर्थन प्रणाली का कचरा, वैज्ञानिक प्रयोगों का कचरा, अंतरिक्ष यात्रियों का कचरा निकलता है।
इन अंतरिक्ष कचरों से निपटने के लिए विशेष तकनीकों और रणनीतियों की आवश्यकता है। अंतरिक्ष यानों को डिजाइन करना ताकि वे अपने जीवनकाल के अंत में पृथ्वी के वायुमंडल में जल जाएं, अंतरिक्ष यानों से कचरा इकट्ठा करना और उसे पुनर्चक्रण करना, अंतरिक्ष में कचरा संग्रहण करने के लिए विशेष यान बनाना, अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय नियम और मानक बनाना, अंतरिक्ष कचरा को गहरे अंतरिक्ष में भेजना जहां वह खतरनाक नहीं होगा, अंतरिक्ष यानों को पुनरुपयोग करने के लिए डिज़ाइन करना, लेजर का उपयोग करके अंतरिक्ष कचरा को नष्ट करना, अंतरिक्ष कचरा को पकड़ने के लिए जाल का उपयोग करना, अंतरिक्ष कचरा को आकर्षित करने के लिए चुंबकीय तकनीक का उपयोग करना, रोबोटिक तकनीक का उपयोग करके अंतरिक्ष कचरा को संग्रहीत और निपटान करना, अंतरिक्ष यानों के बीच नेटवर्किंग तकनीक का उपयोग करके कचरा संग्रहण और निपटान करना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए आई) का उपयोग करके अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन में सुधार करना जैसे वैज्ञानिक और व्यवहारिक तरीकों से अंतरिक्ष कचरे का निपटान करने में मदद मिल सकती है और अंतरिक्ष को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने में योगदान हो सकता है।
अंतरिक्ष सुरक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान में सुधार, पृथ्वी की सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण के लिए अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के अनेकानेक लाभ हैं। तकनीकी समस्याएं, आर्थिक समस्याएं, अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कमी, नियमों और मानकों की कमी ऐसे कारक हैं जो अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन में चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं। अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए हमें तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और इसके लिए हमें तकनीकी, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना होगा। अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन की चुनौतियों से निपटने के लिए, अंतरिक्ष में कचरा संग्रहण करने के लिए विशेष यान बनाना, कचरा पुनर्चक्रण करने के लिए उपयुक्त तकनीक विकसित करना, अंतरिक्ष यानों को डिजाइन करना ताकि वे अपने जीवनकाल के अंत में पृथ्वी के वायुमंडल में जल जाएं, अंतरिक्ष में कचरा निपटान करने के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय तरीके विकसित करना जैसे तकनीकी पक्षों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए आवश्यक धन की कमी, अंतरिक्ष यानों के निर्माण और प्रक्षेपण की लागत, कचरा पुनर्चक्रण और निपटान की लागत, अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए आर्थिक संसाधनों की कमी प्रमुख आर्थिक चुनौतियाँ हैं जो अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन को प्रभावित करती हैं। अंतरराष्ट्रीय नियम और मानक बनाने में कठिनाई, अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कमी, विभिन्न देशों के बीच समन्वय की कमी, अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए एकीकृत नीति बनाने में कठिनाई अंतरराष्ट्रीय चुनौतियाँ हैं जो अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन में बाधा उत्पन्न करती हैं। अंतरिक्ष कचरा पृथ्वी के वायुमंडल में जलने से पर्यावरण प्रदूषण होता है, अंतरिक्ष कचरा पृथ्वी के आसपास के वायुमंडल में जमा होकर खतरनाक हो सकता है, अंतरिक्ष कचरा जीव-जंतुओं और पौधों के लिए खतरनाक हो सकता है, पर्यावरणीय चुनौतियाँ हैं किंतु अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन से पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए हमें तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और इसके लिए हमें तकनीकी, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना होगा। अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय नियम और मानक बनाना, तकनीकी विकास, आर्थिक संसाधनों का आवंटन, जागरूकता और शिक्षा का प्रसार जैसे आवश्यक कदम उठाकर कुशलतापूर्वक अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन किया जा सकता है। अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए वैश्विक प्रयास किए जाते रहे हैं जैसे कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां और संगठन, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष संगठन (आई एस ओ), यूनाइटेड नेशंस कमिटी ऑन द पीसफुल यूज ऑफ आउटर स्पेस (सीओपीयूओएस), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ई एस ए), नासा (एन ए एस ए), रूसी अंतरिक्ष एजेंसी कॉसमॉस विभिन्न देशों और संगठनों ने अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन हेतू नीतियां और समझौते किए हैं।
जैसे; अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन समझौता (2019), यूनाइटेड नेशंस का अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन संकल्प (2020), ई एस ए की अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन नीति (2020), नासा की अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन रणनीति (2020), आदि कारगर साबित हो सकती हैं। कचरा संग्रहण और निपटान प्रणाली, अंतरिक्ष यानों के लिए डिज़ाइन फॉर डिमोलिशन (डी 4डी), अंतरिक्ष कचरा पुनर्चक्रण तकनीक, अंतरिक्ष यानों के लिए हरित प्रौद्योगिकी जैसे तकनीकी विकास कार्यक्रमों से अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन में सफलता मिलेगी। जागरूकता और शिक्षा द्वारा भी अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन किया जा सकता है जैसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन दिवस ( प्रति वर्ष 20 मार्च), अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन पर वैश्विक सम्मेलन आयोजित करके, शैक्षिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित करके, सामाजिक मीडिया अभियान शुरू करके।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन कोष, ई एस ए का अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन कार्यक्रम, नासा का अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन अनुसंधान कार्यक्रम, निजी क्षेत्र की भागीदारी और समर्थन सहित इन वैश्विक प्रयासों से अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है और हमारे भविष्य के लिए सुरक्षित और स्वच्छ अंतरिक्ष पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सकता है। भारत अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए कई पहल कर रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए एक नीति बनाई है। इसरो कचरा संग्रहण और निपटान के लिए तकनीक विकसित कर रहा है।
इसरो अंतरिक्ष यानों को डिज़ाइन कर रहा है जो अपने जीवनकाल के अंत में पृथ्वी के वायुमंडल में जल जाएं। इसरो अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन पर काम कर रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन के लिए कई सार्थक पहलें की हैं। जैसे; अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन मिशन (2019) का इसरो महत्वपूर्ण भागीदार है। आदित्य-एल1 मिशन (2023) – सूर्य के आसपास के अंतरिक्ष कचरा का अध्ययन इसरो का महत्वाकांक्षी मिशन है। इसरो का अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन केंद्र (2022)। इसरो ने अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन (2022) भी आयोजित कर बढ़ते अंतरिक्ष कचरे के लिए अपनी चिंता व्यक्त कर चुका है। भारत की अंतरिक्ष में ऐतिहासिक उपलब्धियां रही हैं, जैसे; अंतरिक्ष यानों का सफल प्रक्षेपण, चंद्रयान और मंगलयान जैसे किफायती बेहद सफल मिशन, और आदित्य एल 1 मिशन के साथ ही इसरो अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन में वैश्विक सहयोग का बड़ा भागीदार है। साथ ही, इसरो की अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन नीति पूरे विश्व बिरादरी में सर्वाधिक अच्छी और मितव्ययी नीति मानी जाती है। भारत अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बढ़ रहा है।
इसरो ने पुनः प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों (रियूजेबल लांच व्हीकल) को विकसित करने की योजना बनाई है। इसके तहत इसरो ने 2007 में एक अंतरिक्ष कैप्सूल रिकवरी प्रयोग और 2016 में टेक्नोलॉजी डेमन्स्ट्रेटर (आर एल वी-टीडी) परीक्षण किया था। अंतरिक्ष अनुसंधान आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का सबसे उन्नत क्षेत्र माना जाता है और निश्चित रूप से अंतरिक्ष में अन्य ग्रहों की खोज करना मानव मस्तिष्क के लिए सर्वदा एक कौतूहल का विषय रहा है। लगभग हर विकासशील और विकसित देश अंतरिक्ष पर अपना अधिकार जमाना चाहता है। लेकिन इसके साथ ही यदि अंतरिक्ष कचरा पर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई, अंतरिक्ष कचरे का सही प्रबंधन नहीं किया गया तो पृथ्वी जैसे ग्रह के लिए अंतरिक्ष कचरा भारी नुकसानदायक होगा। यह अंतरिक्ष कचरा पृथ्वी का अस्तित्व भी समाप्त करने के लिए उत्तरदाई हो सकता है।