शीतलहर आई जहां सर्दी बढ़ी प्रचंड, आग अनल को तापती टूटा पड़ा घमंड। टूटा पड़ा घमंड रोज अब कौन नहावे, बे मौसम बरसात अगर सर्दी में आवे। हुआ अपहरण धूप का सारी दुनिया मौन, कोहरा थानेदार है रपट लिखावे कौन। रपट लिखावे कौन बहे ठंडी पुरवइया, थर थर कांपे हाथ कान चिल्लावे भईया। ओस करे बेहोश जब हो मौसम की मार, सूरज से निकले किरन जैसे कोई फुहार। जैसे कोई फुहार शरद ऋतु फिर भी भावे, फसलों की मुस्कान अगर दुगनी हो जावे। रुई रजाई रो रहे कंबल मांगे साथ, खटिया माफ़ी मांगती ज्यों फैलाए हाथ। ज्यों फैलाए हाथ आग को करे सलामी, पानी लगे फिजूल बरफ की करे गुलामी। लिखना आता है नहीं लिखता हूं दिन रात, लिखने से क्या फायदा कही कहाई बात। कही कहाई बात ध्यान ज्यादा मत दीजो, इस मौसम की बात मगर फिर कभी न कीजो।
हनुमानगढ़ी के लड्डू को मिला जीआई टैग (Geographical Indication)। विस्तार से जानिए जीआई टैग के बारे में-
भगवान राम के जन्मभूमि अयोध्या के हनुमानगढ़ी के बेसन के लड्डू को जीआई टैग (Geographical Indication Tag) मिला है। यह …