होली की मस्ती में हानिकारक रसायन वाले रंगों से सावधानी रखें…

holi ki hardik shubhkamnayen

25 मार्च को होली व 30 मार्च को रंग पंचमी मनाई जाएगी। त्यौहार की मस्ती में कई हानिकारक रसायन युक्त रंगों का इस्तेमाल किया जाएगा, जो शरीर के लिए हानिकारक हैं। रसायन शास्त्र के वरिष्ठ शिक्षक डॉक्टर रामानुज पाठक ने इसको लेकर सलाह जारी की है, उन्होंने कहा कि काले रंग कॉपर सल्फेट, लाल में मरकरी सल्फाईड व सिल्वर में एल्युमिनियम ब्रोमाइड होता है। इससे कैंसर, अंधेपन की शिकायत हो सकती है। इन रंगों में होता है केमिकल ।

रसायन शास्त्र के शिक्षक डॉक्टर रामानुज पाठक ने बताया कि काले रंग में लैड ऑक्साइड नामक रसायन होता है जिसके लगाने से त्वचा खराब होने, एलर्जी या एग्जिमा होने का डर रहता है। इसी प्रकार हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है। यह आंखों में चला जाये तो जलन के साथ आंशिक अंधेपन की शिकायत हो सकती है। लाल रंग मरकरी सल्फाईड युक्त रहता है। इससे कैंसर के साथ लकवा होने का डर रहता है।

सिल्वर रंग में एल्युमिनियम ब्रोमाइड होता है। इससे भी कैंसर का खतरा रहता है। नीला रंग प्रशियन ब्लू केमिकल युक्त रहता है। इसे ज्यादा मात्रा में लगाने से त्वचा पर खुजली जैसी शिकायत होती है। पर्पल कलर में क्रोमियम आयोडाइड होता है। इसे लगाने से अस्थमा, त्वचा के बदरंगी होने का डर रहता है। ऐसे में रंगों का त्योहार प्राकृतिक हरित रसायन युक्त रंगों से मनाया जा सकता है जैसे नीले रंग के लिए नील के पौधों पर निकलने वाली फलियों को पीस लें और पानी में उबालकर मिला लें। इसीतरह नीले गुड़हल के फूलों को सुखाकर पीसने से भी आप नीला रंग तैयार कर सकते हैं।

इसी प्रकार चटकीला नारंगी रंग के लिए गीला- टेसू (पलाश) के फूलों को रातभर पानी में भिगो कर बहुत ही सुन्दर नारंगी रंग बनाया जा सकता है। कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण भी टेसू के फूलों से होली खेलते थे। टेसू के फूलों के रंग को होली का पारम्परिक रंग माना जाता है। हरसिंगार के फूलों को पानी में भिगो कर भी नारंगी रंग बनाया जा सकता है। एक चुटकी चन्दन पावडर को एक लीटर पानी में भिगो देने से नारंगी रंग बनता है।गुलाबी रंग बनाने के लिए चुकंदर को इस्तेमाल कर सकते हैं। एक चुकंदर को काटकर या पीसकर एक लीटर पानी में रात भर भिगोएं और सुबह इस घोल को अच्छे से उबालकर गाढ़ा कर लें। इसमें जरूरत अनुसार पानी मिलाकर इससे होली खेलें।

कचनार के फूल को भी रात भर पानी में भिगोने से प्राकृतिक गुलाबी या केसरिया रंग तैयार किया जा सकता है। प्राकृतिक लाल रंग के लिए सूखे लाल चन्दन को आप लाल गुलाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सुर्ख लाल रंग का पावडर होता है और त्वचा के लिए अच्छा होता है। जासवंती के फूलों को सुखाकर उसका पावडर बना लें और इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए आटा मिला लें। सिन्दूरिया के बीज लाल रंग के होते हैं, इनसे आप सूखा व गीला लाल रंग बना सकते हैं।गीला रंग- दो छोटे चम्मच लाल चन्दन पावडर को पाँच लीटर पानी में डालकर उबालें। इसमें बीस लीटर पानी और डालें।

अनार के छिलकों को पानी में उबालकर भी लाल रंग बनाया जा सकता है। बुरांस या गुड़हल के फूलों को रातभर पानी में भिगो कर भी लाल रंग बनाया जा सकता है, लेकिन बुरांस का फूल सिर्फ पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। पलिता, मदार और पांग्री में लाल रंग के फूल लगते हैं। ये पेड़ तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। फूलों को रातभर में पानी में भिगो कर बहुत अच्छा लाल रंग बनाया जा सकता है। पीला रंग, हल्दी और बेसन को मिलाकर आप पीला रंग तैयार कर सकते हैं। इसके लिए आप जितनी हल्दी लें, उसकी दोगुनी मात्रा में बेसन मिलाएं।

आमतौर पर इसे बतौर उबटन भी घरों में इस्तेमाल करते हैं। यानी इस पीले रंग से त्वचा और भी निखर जाएगी। आप चाहें तो हल्दी को बेसन की जगह मुल्तानी मिट्टी या टेल्कम पाउडर में भी मिला सकते हैं।हरे रंग के लिए मेंहदी का इस्तेमाल करें। मेंहदी को आटे के साथ मिलाकर आप सूखा हरा रंग तैयार कर सकते हैं। ध्यान रहे कि आपकी मेंहदी में आंवला न मिला हो। अगर आपको पक्के रंग की होली की खुमारी चढ़ती ही है तो आप इस मिश्रण को बेहिचक पानी में घोलें। बालों में यह रंग डालते वक्त भी आपको इसके रिएक्शन का पछतावा बिल्कुल नहीं होगा। इस प्रकार होली की मस्ती में हानिकारक रसायन मुक्त प्राकृतिक हर्बल होली खेली जा सकती है।

होली के पावन पर्व पर समस्त नागरिकों को कोटि-कोटि बधाई एवं शुभकामनाएं।

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