स्वदेशी प्रौद्योगिकी से विकसित राष्ट्र बनेगा भारत

गणतंत्र दिवस
प्रो. रवीन्द्र नाथ तिवारी 
( शिक्षाविद् )

भारतीय विज्ञान का समृद्ध और शानदार अतीत रहा है, जिसमें बौधायन, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, चरक, नागार्जुन, ब्रह्मगुप्त और सुश्रुत इत्यादि वैज्ञानिकों ने भारतीय विज्ञान को विश्व में श्रेष्ठतम ऊंचाइयों तक पहुंचाया। आधुनिक भारतीय वैज्ञानिकों में चन्द्रशेखर वेंकटरमन अग्रणी पंक्ति में आते हैं। 28 फरवरी 1928 को, भारत के प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी चन्द्रशेखर वेंकटरमन ने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के सामने अपनी अभूतपूर्व खोज, रमन प्रभाव का अनावरण किया। परिणामस्वरूप, उन्हें 1930 में भौतिकी में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, और यह सम्मान पाने वाले एशिया के पहले भौतिक विज्ञानी बन गये। इसके अतिरिक्त, उन्हें फ्रैंकलिन मेडल, भारत रत्न और लेनिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1986 से, वैज्ञानिक जागरूकता को बढ़ावा देने, वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देने और चन्द्रशेखर वेंकट रमन के योगदान को याद करने के लिए 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।

इसका उद्देश्य विज्ञान के महत्व और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर जोर देना है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वैज्ञानिक अनुसंधान की भावना और मानव कल्याण पर इसके प्रभाव का उत्सव मनाता है। यह अवसर जीवन में विज्ञान के महत्व पर विचार करने और अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों को प्रेरित करने का अवसर है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 का विषय “विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियाँ” है। इस दिवस का लक्ष्य भारत में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और उपयोग को बढ़ावा देना है, जो आत्मनिर्भरता और सतत विकास को बढ़ावा देगा। भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान, सौर ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण, जल प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, जैव प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सूचना प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और स्वयं को एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है।

अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन की विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक 2022 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा वैज्ञानिक और तकनीकी कार्यबल है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद विभिन्न अनुसंधान प्रयोगशालाओं की देखरेख एवं महत्वपूर्ण अनुसंधान हेतु प्रयास करती है। शक्तिशाली प्रत्युषा सुपरकंप्यूटर के निर्माण के साथ भारत ने सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में विश्व स्तर पर चौथा स्थान हासिल किया है। एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार, भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों, उच्च शिक्षा प्रणाली के आकार, पीएचडी की संख्या और स्टार्ट-अप की संख्या के मामले में शीर्ष तीन देशों में से एक है। स्वदेशी स्टार्टअप ने 2023 में 30 बिलियन डॉलर से अधिक जुटाए, जो 2022 से 25 प्रतिशत अधिक है। 2023 में, भारत में 100 से अधिक नए स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने, जो 2022 से 50 प्रतिशत अधिक है। भारत ने 2023 में 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में 13.7 बिलियन डॉलर जुटाए, जो विश्व में सबसे अधिक है। 2023 में, स्वदेशी तकनीकी क्षेत्र ने 10 लाख से अधिक नए रोजगार सृजित किए, जो 2022 से 20 प्रतिशत अधिक है।

भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। 2023 में, फिनटेक, एडटेक, हेल्थटेक और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों के माध्यम से स्वदेशी तकनीकी क्षेत्र को बढ़ावा दिया है। देश नैनो प्रौद्योगिकी अनुसंधान में भी उत्कृष्ट है। भारत के इनोवेशन मिशन कार्यक्रम ने स्मार्ट ग्रिड और ऑफ-ग्रिड नेतृत्व, स्वच्छ ऊर्जा और पानी, नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन अनुसंधान और आउटरीच जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खाद्य और कृषि, जल, ऊर्जा और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के साथ तकनीकी और वैज्ञानिक दक्षता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी विजन 2035 रूपरेखा विकसित की है। सरकार ने महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने और व्यावहारिक विज्ञान अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए आरोग्य ग्राम परियोजना और राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन जैसी विभिन्न परियोजनाएं लागू की हैं। अन्य सराहनीय पहलों में अटल इनोवेशन स्कॉलरशिप कार्यक्रम और इंस्पायर योजना शामिल है, जिसका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना और मिशन और अनुसंधान कार्यों में छात्रों की भागीदारी बढ़ाना है।

भारत ने 2023 में 18 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया, जो 2022 से 50 प्रतिशत अधिक है। इनमें से 12 उपग्रह भारत के और 6 अन्य देशों के थे। इसके अतिरिक्त 4 भारी उपग्रहों का भी सफल प्रक्षेपण किया, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 2023 में, भारत ने अपना पहला मानव रहित अंतरिक्ष यान, गगनयान, सफलतापूर्वक लॉन्च किया। भारत 2025 में शुक्र ग्रह पर एक मिशन भेजने की भी योजना बना रहा है। भारत ने 2023 में अपनी पहला अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसैट सफलतापूर्वक लॉन्च किया। एस्ट्रोसैट ब्रह्मांड का अध्ययन करने में मदद करेगा और भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना देगा। सरकार द्वारा पारित की गयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी अनुसंधान एवं नवाचार पर सर्वाधिक जोर जोर दिया गया है। भारत की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति 2020 में विज्ञान को अधिक प्रभावी ढंग से और विशेषज्ञों द्वारा संचालित करने का उल्लेख है। भारत ग्रीन एनर्जी में आत्मनिर्भर होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ऊर्जा संरक्षण और संवर्धन कर रहा है। व्हीट जीनोम सिक्वेंस समेत अन्य अनाजों की संकरण और उन्नत किस्मों को तैयार करने में भी भारत ने उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है। आने वाले वर्षों में भारत विज्ञान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर एवं विकसित राष्ट्र बनकर विश्व का मार्गदर्शन करेगा।

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