प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान: एक महत्वपूर्ण कदम

गणतंत्र दिवस
प्रो. रवीन्द्र नाथ तिवारी 
( शिक्षाविद् )

प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान तथा विचार की समृद्ध परम्परा के साथ-साथ भारतवर्ष शिक्षा के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करता आया है तथा प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति ने सम्पूर्ण मानवता के कल्याण में अप्रतिम योगदान दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से उच्चतर शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तनों की प्रस्तावित योजनाओं ने विभिन्न समस्याओं का समाधान करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इसमें बहु-विषयक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालय की स्थापना, अधिक से अधिक बहु-विषयक स्नातक शिक्षा, संकाय और संस्थागत स्वायत्तता, शिक्षण में उन्नति, अनुसंधान और सेवा के आधार पर योग्यता नियुक्तियाँ, एक नया राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना, और शैक्षणिक और प्रशासनिक स्वायत्तता के साथ लचीला और स्थायित्वप्रद विनियमन है। इन परिवर्तनों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के स्तर में गुणवत्ता को बढ़ाना है, जिससे भारतीय युवा उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

इसी अनुक्रम में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रुसा) योजना जून 2023 में “प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा)” नाम से शुरू की गई थी। रुसा की शुरुआत अक्टूबर 2013 में एक केंद्र प्रायोजित पहल के रूप में लॉन्च की गयी थी  जिसका उद्देश्य देश भर में उच्च शिक्षा संस्थानों को रणनीतिक वित्त पोषण प्रदान करना है। इसके मुख्य उद्देश्यों में उच्च शिक्षा में समान पहुंच और समावेशन को बढ़ावा देना, शिक्षण और सीखने की प्रक्रियाओं की गुणवत्ता को बढ़ाना, गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों की मान्यता में सुधार करना, सूचना प्रौद्योगिकी-आधारित डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना करना और बहु-विषयक दृष्टिकोण के माध्यम से रोजगार क्षमता को बढ़ाना शामिल है। इसका उद्देश्य निर्धारित मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करके और गुणवत्ता आश्वासन के लिए एक ढांचे के रूप में मान्यता को अपनाकर राज्य उच्च शैक्षणिक संस्थानों की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि करना है।

राज्यों में उच्च शिक्षण संस्थानों में शासन, शैक्षणिक और परीक्षा सुधार एवं साथ ही आत्मनिर्भर भारत के विकास में योगदान देने के लिए स्कूली शिक्षा और नौकरी बाजार दोनों के साथ संबंध स्थापित करना है। इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान और नवाचारों के लिए एक सहायक वातावरण भी बनाना है। यह योजना राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए संसाधनों के आवंटन और उनकी गतिविधियों को व्यवस्थित करने में अधिक लचीलेपन की अनुमति देती है। इसके अलावा, राज्य नामांकन अनुपात, लैंगिक समानता और जनसंख्या में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अनुपात जैसे संकेतकों पर विचार करके ध्यान केंद्रित करने के लिए विशिष्ट जिलों का चयन कर सकते हैं। इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषताओं में बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान के लिए 35 मान्यता प्राप्त राज्य विश्वविद्यालयों में से प्रत्येक को 100 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है।

यह नए मॉडल डिग्री कॉलेजों की स्थापना का भी समर्थन करता है और विश्वविद्यालय के विकास के लिए अनुदान प्रदान करता है। प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान का लक्ष्य वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित दूरदराज के क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों और कम नामांकन दर वाले क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम राज्य सरकारों को लैंगिक समानता और समावेशन को बढ़ावा देने और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से रोजगार क्षमता में सुधार करने में मदद करता है।

राष्ट्र के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पीएम-उषा परियोजना के डिजिटल लोकार्पण किया गया है। इस योजना के अंतर्गत दो घटकों में प्रदेश के आठ विश्वविद्यालयों को 400 करोड़ रुपये की अनुदान राशि स्वीकृत की गई है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल को इसके तहत 100 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। इसके अतिरिक्त विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन और जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर को भी 100-100 करोड़ रुपये अनुदान राशि मिलेगी। वहीं प्रदेश के 05 विश्वविद्यालयों देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, रानी दुर्गावती विवि, अवधेश प्रताप सिंह विवि, एसएन शुक्ल विवि एवं महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि को 20-20 करोड़ रुपये अनुदान दिया जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू किए हुए 3 वर्ष से अधिक हो गए हैं जिसके सफल क्रियान्वयन से आशातीत एवं उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। आज इस बात की आवश्यकता है कि हम अतिशीघ्र बहु-विषयक संस्थानों की ओर अग्रसर हों तथा अन्तर विषयक शोध को बढ़ावा देना होगा। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में शिक्षकों की कमी को दूर करने के प्रयास करने होंगे। संस्थानों में शोध संस्कृति को बढ़ावा देना होगा। वास्तव में किसी भी शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य एवं लक्ष्य छात्र हित, ज्ञान की प्रगति और राष्ट्र निर्माण होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इन सभी लक्ष्यों को एक साथ प्राप्त करने के साथ-साथ राष्ट्र में ‘स्व’ के भाव को जागृत करने में महती भूमिका निभा सकती है।

शिक्षा के समवर्ती सूची में होने के कारण केन्द्र के साथ-साथ सभी राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका इसके क्रियान्वयन में होगी, तभी हम बहुविषयक संस्थान के स्थापना कर शोध एवं नवाचार की संस्कृति को बढ़ाते हुए विश्व के सर्वश्रेष्ठ देश में शामिल होकर मानवता के कल्याण हेतु मार्गदर्शन करने में सक्षम होंगे। प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान का सफल कार्यान्वयन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों के एकीकरण और विभिन्न भारतीय राज्यों में उच्च शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।

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